Gulzar - Do Sondhe Sondhe Se Jism
दो सोंधे-सोंधे से जिस्म जिस वक़्त एक मुठी में सो रहे थे
दो सोंधे-सोंधे से जिस्म जिस वक़्त एक मुठी में सो रहे थे
लबों की मद्धम तवील सरगोशियों में साँसे उलझ गई थीं
मुँदे हुए साहिलों पे जैसे कहीं बहुत दूर ठंडा सावन बरस रहा था
बस एक ही रूह जागती थी
बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था
बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी
Written by:
GULZAR
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
Lyrics powered by Lyric Find