Kavita Krishnamurthy - Faasla Rahe Na Aaj

फ़ासला रहे न आज एक हो जाये
तोड़ के रस्मो रिवाज़ एक हो जाये
फ़ासला रहे न आज एक हो जाये
तोड़ के रस्मो रिवाज़ एक हो जाये

मैंने तेरी धडकनों को सुन लिया जनम
मैंने तेरी धडकनों को सुन लिया जनम
मैंने तुझको मित अपना चुन लिया जनम
कुछ भी तो करे ये समाज एक हो जाये
तोड़ के रस्मो रिवाज़ एक हो जाये

वक़्त जो गुजरा अभी तक मोज़ का गुजारा
वक़्त जो गुजरा अभी तक मोज़ का गुजारा
मिलके तुझसे ज़िन्दगी का क़र्ज़ तो उतरा

आज से अपने मिज़ाज एक हो जाये
तोड़ के रस्मो रिवाज़ एक हो जाये

धूप में छाया
बनु साये में हमसाया
धूप में छाया
बनु साये में हमसाया
शुक्रिया तेरा मेरे
ज़ख्मों को सहलाया
क्यों रहे थोड़े भी लाज़ एक हो जाये
तोड़ के रस्मो रिवाज़ एक हो जाये
फ़ासला रहे न आज एक हो जाये
तोड़ के रस्मो रिवाज़ एक हो जाये.

Written by:
Rajesh Johri, Ajit Singh

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Kavita Krishnamurthy

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