S. Janaki - Gali Tho Charon

गली तो चारों बंद हुई, गली तो चारों बंद हुई
गली तो चारों बंद हुई, मैं हरि से मिलूं कैसे जाय
गली तो चारों बंद हुई, मैं हरि से मिलूं कैसे जाय
गली तो चारों बंद हुई
ऊंची नीची राह लपटीली
ऊंची नीची राह लपटीली, पांव नहीं ठहराय
सोच सोच पग धरूं जतन से
सोच सोच पग धरूं जतन से, बार बार डिग जाय
हाय गली तो चारों बंद हुई, गली तो चारों बंद हुई
ऊंचा नीचा महल पिया का म्हासूं चढ़्‌यो न जाय
ऊंचा नीचा महल पिया का म्हासूं चढ़्‌यो न जाय
पिया दूर पंथ म्हारो झीणो
पिया दूर पंथ म्हारो झीणो, सुरत झकोला खाय
सुरत झकोला खाय
गली तो चारों बंद हुई, गली तो चारों बंद हुई

कोस कोस पर पहरा बैठ्या, पैंड़ पैंड़ बटमार
कोस कोस पर पहरा बैठ्या, पैंड़ पैंड़ बटमार
हे बिघना, कैसी रच दीनी
हे बिघना, कैसी रच दीनी दूर बसायो म्हांरो गांव
दूर बसायो म्हांरो गांव
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
मीरा के प्रभु गिरधर नागर सतगुरु दई बताय
जुगन जुगन से बिछड़ी मीरा
जुगन जुगन से बिछड़ी मीरा घर में लीन्ही लाय
घर में लीन्ही लाय, गली तो चारों बंद हुई
गली तो चारों बंद हुई, मैं हरि से मिलूं कैसे जाय
गली तो चारों बंद हुई, गली तो चारों बंद हुई

Written by:
S JANAKI

Publisher:
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