Jagjit Singh - Garaj Baras
गरज बरस प्यासी धरती
पर फिर पानी दे मौला
गरज बरस प्यासी धरती
पर फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बाकचों को
गुड-धानी दे मौला
गरज बरस प्यासी धरती
पर फिर पानी दे मौला
दो और दो का जोड़ हमेशा
चार कहाँ होता हैं
दो और दो का जोड़ हमेशा
चार कहाँ होता हैं
सोच समझ वालों को
थोड़ी नादानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बाकचों को
गुड-धानी दे मौला
गरज बरस प्यासी धरती
पर फिर पानी दे मौला
फिर रोशन कर ज़हेर का
प्याला चमका नयी सलीबेन
फिर रोशन कर ज़हेर का
प्याला चमका नयी सलीबेन
झूतों की दुनिया में
सच को ताबानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बाकचों को
गुड-धानी दे मौला
गरज बरस प्यासी धरती
पर फिर पानी दे मौला
फिर मूरत से बाहर
आकर चारों और बिखर जा
फिर मूरत से बाहर
आकर चारों और बिखर जा
फिर मंदिर को कोई मीयर्रा
दीवानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बाकचों को
गुड-धानी दे मौला
गरज बरस प्यासी धरती
पर फिर पानी दे मौला
तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यूँ हो
तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यूँ हो
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बाकचों को गुड-धानी दे मौला
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
फिर पानी दे मौला फिर पानी दे मौला
Written by:
Muqtida Hasan Nida Fazli, Jagjit Singh
Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC
Lyrics powered by Lyric Find