Gulzar - Haan Mere Gham Toh Utha Leta Hai

हाँ मेरे ग़म तो उठा लेता है ग़म्ख़्हार नहीं
हाँ मेरे ग़म तो उठा लेता है ग़म्ख़्हार नहीं
दिल पड़ोसी है मगर मेरा तरफ़दार नहीं
आपके बाद ये महसूस हुआ है हमको
आपके बाद ये महसूस हुआ है हमको
जीना मुश्किल नहीं मरना कोई दुश्वार नहीं
काँच के घर है यहाँ सबके बस इतना सोचे
अर्ज़ करते है फ़क़त आपसे टकरार नहीं

Written by:
GULZAR

Publisher:
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