आतिफ असलम - Hum Kis Galli Jaa Rahe Hai

हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नही
अपना कोई ठिकाना नही
अरमानों की अंजुमन में
बेसुध हैं अपनी लगन में
अपना कोई फ़साना नहीं
अपना कोई फ़साना नहीं
येयेयेये
ओओ ओओ
येयेयेये
ओओ
येयेयेये


इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में
जागी है कैसी तलब सी ये आरज़ू है अज़ब सी
लेकिन किसी को बताना नहीं
लेकिन किसी को बताना नहीं
हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं

बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है
खामोशियों में सदा, होश भी गुम शुदा है
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है
खामोशियों में सदा, होश भी गुम-शुदा है
दर दर क्या घूमता है मस्ती मे क्यों झूमता है
दीवान-ए-दिल ने जाना नही
दीवान-ए-दिल ने जाना नही
हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं

Written by:
Sachin Gupta

Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC

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आतिफ असलम

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