Chitra Singh - Jahan Jahan Mujhe Sehra
जहाँ जहाँ मुझे सेहरा दिखाई देता है
जहाँ जहाँ मुझे सेहरा दिखाई देता है
मेरी तरह से अकेला दिखाई देता है
जहाँ जहाँ मुझे सेहरा दिखाई देता है
ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे
ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है
जहाँ जहाँ मुझे सेहरा दिखाई देता है
ये किस मक़ाम पे लायी है जुस्तजू तेरी
ये किस मक़ाम पे लायी है जुस्तजू तेरी
जहाँ से अर्श भी नीचा दिखाई देता है
जहाँ जहाँ मुझे सेहरा दिखाई देता है
ये भीगी पलकें किसी की ये अश्क बा-राखें
ये भीगी पलकें किसी की ये अश्क बा-राखें
बस एक बार भी क्या क्या दिखाई देता है
जहाँ जहाँ मुझे सेहरा दिखाई देता है
मेरी तरह से अकेला दिखाई देता है
जहाँ जहाँ मुझे सेहरा दिखाई देता है
Written by:
JAGJIT SINGH, SHAKEB JALAALI
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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