Lata Mangeshkar and Mukesh - Jane Na Nazar Pehchane Jigar
ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म
जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
आवाज़ ये किसकी आती है
जो छेड़ के दिल को जाती है
आवाज़ ये किसकी आती है
जो छेड़ के दिल को जाती है
मैं सुन के जिसे शर्मा जाऊँ
है कौन जो दिल में समाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
ढूँढेंगे उसे हम तारों में
सावन की ठण्डी बहारों में
ढूँढेंगे उसे हम तारों में
सावन की ठण्डी बहारों में
पर हम भी किसी से कम तो नहीं
क्यों रूप को अपने छुपाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
बिन देखे जिसको प्यार करूँ
अगर देखूँ उस को जान भी दूँ
बिन देखे जिसको प्यार करूँ
अगर देखूँ उस को जान भी दूँ
एक बार कहो ओ जादुगर
ये कौन सा खेल रचाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
Written by:
Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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