Sajjad Ali - Jeenay Do

मेरी हैं सारी सुभें
मेरे हैं शामे
गिरवी क्यूँ रखे
कोई अपनी ही साँसें
मर्ज़ी से लिखूंगा
मैं अपना अफ़साना
बातें काइया करता हे वो ना
मुझ को बतलाना

जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
लोगों को ज़िंदा
रहने दो रहने दो
चलने दो चलने दो
चलने दो चलने दो
साँसों का पहिया
चलने दो चलने दो ना
रहने दो रहने दो
रहने दो रहने दो
आँखों में सपने
रहने दो रहने दो ना
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
लोगों को ज़िंदा
रहने दो रहने दो

हम कह देंगे सब सुन लेंगे
काँटों के सेहरा से
हम फूल चुन लेंगे
कहते रहना सुनते रहना
पानी भी सुन लायगा
पत्थर भी सुन लेंगे
कहते कहते कहते बन जाएँगे
बातें आसीकर जाएँगे हे
कहने दो कहने दो
कहने दो कहने दो
सुन सकते हो तो कहने दो
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
लोगों को ज़िंदा
रहने दो रहने दो
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
लोगों को ज़िंदा
रहने दो रहने दो
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
लोगों को ज़िंदा रहने दो
चलने दो चलने दो
चलने दो चलने दो
साँसों का पहिया
चलने दो चलने दो ना
रहने दो रहने दो
रहने दो रहने दो
आँखों में सपने
रहने दो रहने दो ना
जीने दो जीने दो
जीने दो जीने दो
लोगों को ज़िंदा
रहने दो रहने दो
जीने दो जीने दो

Written by:
Sajjad Ali

Publisher:
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