Prateek Kuhad - Kadam

मैं कदम कदम
बदलता हूँ यन्हि
ये ज़िंदगी बदलती ही नही
है लफ़्ज़ों की कमी
मैं इधर उधर फिसलता ही रहा
ये मन कभी संभलता ही नही
हूँ यादों में छुपा
ये शाम कैसे रंग सी है
उड़ती उतरती पतंग सी है
मैं कल की बाहो में हु फसा
ये वक़्त भी मुझे भुला गया
मैं घड़ी घड़ी बेख़बर ही था
क्या राज़ मेरे दिल में है छुपा
है नाम क्या मेरा
क्यूँ
सवालों की लहर मुझे मिली
मैं घुल गया समय की आग थी
ये नज़में भी घुल गयी
ये रास्तें क्यूँ अलग से हैं
लिखते टहलते कलम से हैं
मैं कल की साँसों में हूँ छुपा
ये वक़्त भी मुझे भुला गया

ये शाम कैसे रंग सी है
उड़ती उतरती पतंग सी है
मैं कल की बाहो में हु फसा
ये वक़्त भी मुझे भुला
ये रास्तें क्यूँ अलग से हैं
लिखते टहलते कलम से हैं
मैं कल की साँसों में हूँ छुपा
ये वक़्त भी मुझे भुला गया
ये वक़्त भी मुझे भुला गया

Written by:
PRATEEK KUHAD

Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group

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Prateek Kuhad

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