Kavita Seth - Kahin Door Jab Din Dhal Jaye

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

वही जहा रहता था शब का अँधेरा
व्ही से निकल आइए उजला सवेरा
वही जहा रहता था शब का अँधेरा
व्ही से निकल आइए उजला सवेरा
वही पिघल के किरणों मैं ढल के
मुझे से लिपट के
कितने ही साये कितने ही साये
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

होने लग्गी दिल से उस्सकी ही बाते
दिल से उभर आयी कितनी ही यादे
होने लग्गी दिल से उस्सकी ही बाते
दिल से उभर आयी कितनी ही यादे
सज के सवार के आखियो मैं भर के
कोई मुझे देखे कोई मुझ को बुलाये
मुझ को बुलाये
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

Written by:
YOGESH, SALIL CHOUDHURY

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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