Anuradha Paudwal and Mohammed Aziz - Kaise Kate Din

आ आ आ आ

कैसे कटे दिन कैसे कटी रातें
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें
कैसे कटे दिन कैसे कटी रातें
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें

मुझको तो रोज़ आती थी
हमदम तुम्हारी याद
आके मिले हो आज तुम
कितने दिनों के बाद
मुझको तो रोज़ आती थी
हमदम तुम्हारी याद
आके मिले हो आज तुम
कितने दिनों के बाद
जब याद तुम्हारी आती थी
मैं चोरी चोरी रोती थी
खोयी रहती थी खयालों में हो
ना जगती थी ना सोती थी

कैसे कटे दिन कैसे कटी रातें (आ आ आ)
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें

गा माँ पा माँ पा ध गा माँ पा माँ पा ध
गा माँ पा माँ पा ध नी ध पा म नी ध पा पा म पा म ग
नी ध ध पा म पा म ग नी ध ध पा म पा म ग

तुमसे मैं दूर जाके भी कितने करीब था
बस कुछ दिनों के वास्ते रूठा नसीब था
तुमसे मैं दूर जाके भी कितने करीब था
बस कुछ दिनों के वास्ते रूठा नसीब था
इस धरती से उस अम्बर तक
एक चेहरा तुम्हारा दीखता था
जब सपने तुम्हारे आते थे
ओ ओ मैं प्यार भरा खत लिखता था

कैसे कटे दिन (आ आ आ)
कैसे कटी रातें (आ आ आ)
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें
कैसे कटे दिन कैसे कटी रातें
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें (पूछो ना साथियां जुदाई की बातें)
पूछो ना साथियां जुदाई की बातें

Written by:
SAMEER, ANAND SHRIVASTAV, MILIND SHRIVASTAV

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Anuradha Paudwal and Mohammed Aziz

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