Lata Mangeshkar and Mohammed Aziz - Khat Likhna Hai Par Sochti Hoon
खत लिखना हैं पर सोचती हूँ
खत लिखना हैं पर सोचती हूँ
यह कैसे लिखूं
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
मेरी मानो इतना लिख दो
मेरी मानो इतना लिख दो
इन आँखों पर
ख्वाबो की इनायत हो गयी हैं
ख्वाबो की इनायत हो गयी हैं
कागज कलम जैसे ही उठाऊ
दिल हैं के धड़के जाये
हा आ आ दिल हैं के धड़के जाये
जो भी लिखो तुम दिल की बाते
अब ना छुपेंगी छुपाये
हा आ आ अब ना छुपेंगी छुपाये
मैं अच्छी हूँ यह तोह लिख दूँ
मैं अच्छी हूँ यह तोह लिख दूँ
यह कैसे लिखू
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
ल ल ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
यह सोचा हैं इतना लिख दूँ
कुछ दिन से मुझे क्या जाने क्यों
यह दूनिया हसीं लगती हैं
यह दूनिया हसीं लगती हैं
यह भी लिखना
अब सारे दिन
है साथ कोई के जिसके बिन
तबियत ही नहीं लगती हैं
तबियत ही नहीं लगती हैं
बताओ बताओ
इन लफ़्ज़ों में मैं ही लिखू
मुझको तुम समझाओ
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
मैं कुछ लिखूं वह कुछ समझे
ऐसा नहीं हो जाये
हा ऐसा नहीं हो जाये
ऐसा हैं तोह साफ लिखो तुम
अपनी तोह हैं यह राय
हा अपनी तोह हैं यह राय
हा सच तोह हैं क्यूँ शरमाऊं
हा सच तोह हैं क्यूँ शरमाऊं
क्यों यह ना लिखू
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
तोह लिख दो मोहब्बत हो गयी हैं
लिख दूँगी मोहब्बत हो गयी हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गयी हैं
Written by:
Javed Akhtar
Publisher:
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