Jagjit Singh - Maana Ke
माना के मुश्त ए खाक से
माना के मुश्त ए खाक से
बढ़ कर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
बढ़ कर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
बढ़ कर नहीं हूं मैं
लेकिन हवा के रहमो
करम पर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
बढ़ कर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
इंसान हूं धड़कने हुए
दिल पे हाथ राखी
इंसान हूं धड़कने हुए
दिल पे हाथ राखी
यूं डूब कर ना देखा
यूं डूब कर ना देखा
समंदर नहीं हूं मैं
यूं डूब कर ना देखा
समंदर नहीं हूं मैं
लेकिन हवा के रहमो
करम पर नहीं हूं मैं
लेकिन हवा के रहमो
करम पर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
चेहरे पे मल रहा
हुन सियाही नसीब किस
चेहरे पे मल रहा
हुन सियाही नसीब किस
आया हाथ में है
आया हाथ में है
सिकंदर नहीं हूं मैं
आया हाथ में है
सिकंदर नहीं हूं मैं
लेकिन हवा के रहमो
करम पर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
बढ़ कर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
ग़ालिब तेरे ज़मीन में
लिखी तो है ग़ज़ाली
ग़ालिब तेरे ज़मीन में
लिखी तो है ग़ज़ाली
तेरे कद ए सुखन के
तेरे कद ए सुखन के
बराबर नहीं हूं मैं
तेरे कद ए सुखन के
बराबर नहीं हूं मैं
लेकिन हवा के रहमो
करम पर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
बढ़ कर नहीं हूं मैं
माना के मुश्त ए खाक से
Written by:
) Muzaffar Warsi (Pak, Jagjit Singh
Publisher:
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