Kishore Kumar - Main Jhaunka Mast Hawa Ka

मैं झोंका मस्त हवा का
सुबह यहां शाम वहाँ
जो मुझको अरे बाँध रहा
वह है बड़ा नादान
मैं झोंका मस्त हवा का
सुबह यहां शाम वहाँ
जो मुझको अरे बाँध रहा
वह है बड़ा नादान

मुझको आते जाते
नाजुक तन लेहराके तिरछी
नज़रों से न देखना
मानो मेरे प्यारों
थक जाओगे यारों बाहों
के फंदे न फेंकना
दो चार भी मेरे लिए
आहें क्या भरना

मेरी हर फूलवारी
सब कलियों से न्यारी
अरे डाली है मेरा आशियां
सड़को पे गलियों में
लाखों रंग रैलियों में
नाच रही मेरी परछाईया
तोह साये को थामने
की कोशिश न करना
मैं झोंका मस्त हवा का
सुबह यहां शाम वहाँ

Written by:
Majrooh Sultanpuri, R D Burman

Publisher:
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Kishore Kumar

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