Bhupinder Singh - Mere Haathon Pairon Mein
मेरे हाथों पैरों में तन्हाइयाँ चलती रहती हैं
मेरे हाथों पैरों में तन्हाइयाँ चलती रहती हैं
कोई नहीं हैं आँगन में
कोई नहीं हैं आँगन में परछाइयाँ चलती रहती हैं (ओ ओ ओ)
मेरे हाथों पैरों में तन्हाइयाँ चलती रहती हैं (ओ ओ)
मेरे हाथों पैरों में
उनके सामने आते ही चेहरे का रंग उड़ जाता हैं
उनके सामने आते ही चेहरे का रंग उड़ जाता हैं
पात नहीं हिलता कोई
पात नहीं हिलता कोई पुरवाईयाँ चलती रहती हैं (ओ ओ ओ)
मेरे हाथों पैरों में तन्हाइयाँ चलती रहती हैं (ओ ओ)
मेरे हाथों पैरो मे
ऊपर ऊपर सारा समंदर ठहरा ठहरा लगता हैं
ऊपर ऊपर सादा समंदर ठहरा ठहरा लगता हैं
नीचे दरियां बहते हैं
नीचे दरियां बहते हैं गहराइयाँ चलती रहती हैं (ओ ओ ओ)
मेरे हाथों पैरों में तन्हाइयाँ चलती रहती हैं (ओ ओ)
कोई नहीं हैं आँगन में
कोई नहीं हैं आँगन में परछाइयाँ चलती रहती हैं (ओ ओ ओ)
मेरे हाथों पैरों में, मेरे हाथों पैरों में (ओ ओ)
मेरे हाथों पैरों में, मेरे हाथों पैरों में
Written by:
GULZAR, BHUPINDER SINGH
Publisher:
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