Jagjit Singh and कीर्ति अनुराग - Meri Ajab Hai Zindagi

मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ
मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ
तक़दीर रूठ जाए तो तक़दीर रूठ जाए तो
मेरे खुदा मैं क्या करूँ
मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ

हालात ने नसीब में गम भर दिए हैं इस क़दर
हालात ने नसीब में गम भर दिए हैं इस क़दर
ना मंज़िलों की कुछ खबर में कारवाँ को क्या करूँ
में कारवाँ को क्या करूँ
मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ

मिल जाए डूबने पे भी आख़िर तो इक साहिल कहीं
मिल जाए डूबने पे भी आख़िर तो इक साहिल कहीं
तूफान की है आरज़ू तूफान की दुआ करूँ
तूफान की दुआ करूँ
मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ

मंज़िल की थी तलाश तो गर्दै ए सफ़र मिली मुझे
मंज़िल की थी तलाश तो गर्दै ए सफ़र मिली मुझे
आँखें बरस पड़ी मेरी काली घटा को क्या करूँ
काली घटा को क्या करूँ
मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ
मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ
तक़दीर रूठ जाए तो तक़दीर रूठ जाए तो
मेरे खुदा मैं क्या करूँ
मेरी अजब है ज़िंदगी किसी से क्या गीला करूँ

Written by:
KRITI ANURAAG, CHANDER OBEROI, RAM SIDDHARTH

Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC

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Jagjit Singh and कीर्ति अनुराग

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