Amit Kumar and Sadhana Sargam - Na Hai Zameen Na Aasman
ना हैं ज़मीन ना आसमान
लाए कहा हो हमको
बदल नागर हैं मेरा घर
लाया जहाँ हूँ तुमको
ना हैं ज़मीन ना आसमान
लाए कहा हो हमको
बदल नागर हैं मेरा घर
लाया जहाँ हूँ तुमको
छोडो हँसि बदल में भी
कोई भला रहते हैं
ओ देख ले इन् आँखों से
दीवाना सच कहता है
ना हैं ज़मीन ना आसमान
लिए कहा हो हमको
बदल नागर हैं मेरा घर
लाया जहाँ हूँ तुमको
तेरी इस नगरी में
कैसे रस्ते हैं यह
पेअर सितारो पर रखकर चलते हैं
तेरी इस नगरी में
कैसे रस्ते हैं यह
पेअर सितारो पर रखकर चलते हैं
इक तारा वह चलता हैं जो
दे दो मुझे वह नगीना
अब्ब चाँद है बिन्दिया तेरी
सूरज तेरा आइना
ना हैं ज़मीन ना आसमान
लिए कहा हो हमको
बदल नागर है मेरा घर
लाया जहाँ हूँ तुमको
प्यार के यह दो पल
हमको घेरे हैं यह
धुंधले उजाले हैं
उजले अँधेरे हैं यह
प्यार के यह दो पल
हमको घेरे हैं यह
धुंधले उजाले हैं
उजले अँधेरे हैं यह
यह प्यार के बादल घने
कल को पिघल जाये तोह
सुन ए हसीं हम वह नहीं
इक दिन बदल जाये जो
ना है ज़मीन ना आसमान
लिए कहा हो हमको
बदल नागर हैं मेरा घर
लाया जहाँ हूँ तुमको
छोडो हँसि बदल में भी
कोई भला रहता है
ओ देख ले इन् आँखों से
दीवाना सच कहता है.
Written by:
Javed Akhtar
Publisher:
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