Lata Mangeshkar - Panditji Mere Marne Ke Baad

न धर्म बुरा, ना करम बुरा
न गंगा बुरी, ना जल बुरा
न धर्म बुरा, ना करम बुरा
न गंगा बुरी, ना जल बुरा
हर पीने वालो को पंडितजी
न करना कभी नसीहत
पीने वाला मरते मरते
बस करता यही वसीयत
ओ पण्डितजी मेरे मरने के बाद
पंडितजी मेरे मरने के बाद
पंडितजी मेरे मरने के बाद
बस इतना कष्ट उठालेना
मेरे मुहे में गंगा जल की जगह
मेरे मुहे में गंगा जल की जगह
थोड़ी मदिरा टपका देना
पंडितजी मेरे मरने के बाद
बस इतना कष्ट उठालेना
मेरे मुहे में गंगा जल की जगह
थोड़ी मदिरा टपका देना
पंडितजी मेरे मरने के बाद
पंडितजी

सदियों पुरानी महक आने से
थोड़ी मिटटी मंगवालेना
सदियों पुरानी महक आने से
थोड़ी मिटटी मंगवालेना
उस मिटटी को समज के चन्दन
उस मिटटी को समज के चन्दन मेरे
माथे तिलक लगा देना
पंडितजी मेरे मरने के बाद
पंडितजी यह मेरे मरने के बाद

मौत पे मेरी वो पीने वाले
मौत पे मेरी वो पीने वाले
आँख जो तेरी भर आये
मौत पे मेरी वो पीने वाले
आँख जो तेरी भर आये
पीना ना तू आँख के आँसू
पीना ना तू आँख के आँसू
पर कुछ जाम बहा देना
पंडितजी मेरे मरने के बाद
पंडितजी मेरे मरने के बाद यह
ला ला ला ला ला ला ला ला

सफर आखिरी लम्बा है
सफर आखिरी लम्बा है
कोई साथ में साथी तो चाहिये
सफर आखिरी लम्बा
कोई साथ में साथी तो चाहिये
जूमके पहुंचू जन्नत तक में
जूमके पहुंचू जन्नत तक
एक बोतल साथ भिजवादेना
पंडितजी मेरे मरने केबाद
बस इतना कष्ट उठालेना
मेरे मुहे में गंगा जल की जगह
थोड़ी मदिरा टपका देना
पंडितजी मेरे मरने के बाद
पंडितजी यह मरने के बाद

Written by:
Laxmikant Pyarelal, Varma Malik

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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