Sajjad Ali - Pardes
हम
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
हम
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
थोड़े से खिलोने है जो अभी पहुँचाने है
अभी नही जाएँगे तो काम नही आएँगे
किसी की उम्मीद है तो किसी की दवाई है
उनकी चीज़े है जिनके नाम नही आएँगे
नाम नही आएँगे
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
हम
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
छतों पे गुज़ारी होई रातें मंगवानी है
खिड़कियों से फेंकी हुई बातें मंगवानी है
यहाँ पर देश का तो मौसम एक जैसा है
सुबह और ढलती हुई शामें मंगवानी है
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
जो भी कोई जाए मेरे देस बताके जाए
हम
Written by:
Sajjad Ali
Publisher:
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