Udit Narayan and Alka Yagnik - Rab Se Sajan Se

सागर से धरती, धरती से पर्वत
पर्वत से ऊँचा गगन
ऊँचा गगन से और नहीं कोई
एक रब, दूजा सजन
सागर से धरती, धरती से पर्वत
पर्वत से ऊँचा गगन
ऊँचा गगन से और नहीं कोई
एक रब, दूजा सजन

रब से, सजन से झूठ नहीं बोलना, हाँ
रब से, सजन से झूठ नहीं बोलना
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना
रब से, सजन से झूठ नहीं बोलना
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना

ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ आ आ आ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ, आ आ आ

सावन की रात साजन के साथ बिल्कुल अकेली

साफ़-साफ़ बोलो, क्या है पहेली
साफ़-साफ़ बोलो, क्या है पहेली

दे बैठी दिल, कर बैठी प्यार नार अलबेली

कौन है वो कौन है बोलो सहेली
कौन है वो कौन है बोलो सहेली

ना जी ना, उसका नाम नहीं बोलना, हाए
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना

छन छन ना ना ना छन छन
झीं-क ची-की झीं-क ची-की
छन छन ना ना ना छन छन
झीं-क ची-की झीं-क ची-की
छन छन ना ना ना छन छन
झीं-क ची-की झीं-क ची-की
छन छन ना ना ना छन छन
झीं-क ची-की झीं-क ची-की
झीं-क ची-की झीं-क ची-की
झीं-क ची-की झीं-क ची-की
झीं-क ची-की झीं-क ची-की
झीं-क ची-की झीं-क ची-की, झीं-क ची-की

इस प्यार की आगे सुनो मुझसे कहानी

जोबन पे आयी इसकी जवानी
जोबन पे आयी इसकी जवानी

शरमीले गाल, मस्तानी चाल उसकी निशानी

तू तो नहीं वो लड़की दीवानी
तू तो नहीं वो लड़की दीवानी

यूँ घुर के देखा मेरी ओर ना, हाँ
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना
रब से, सजन से झूठ नहीं बोलना
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना
और किसी से दिल का भेद नहीं खोलना

ये मौसम है गीतों का, मनमीतो की प्रीतो का
आज के दिन का मेला है, कल पानी का रेला है
जाने क्या ले जाएगा, जाने क्या दे जाएगा
चल, ओ ढोली, ढोल बजा, कब क्या होगा किसे पता

ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
आ आ आ,आ आ आ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
आ आ आ,आ आ आ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
ओ ओ ओ, ओ ओ ओ

Written by:
Anand Bakshi

Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC

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Udit Narayan and Alka Yagnik

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