Lata Mangeshkar - Rahen Na Rahen
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में
रहें ना रहें हम
मौसम कोई हो इस चमन में
रंग बनके रहेंगे हम खिरामा
चाहत की खुशबू यु ही ज़ुल्फो
से उडेगी खिज़ायों या बहारें
यूँही झूमते, युहीँ झूमते और खिलते रहेंगे
बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में
खोये हम ऐसे क्या है मिलना
क्या बिछड़ना नहीं है याद हमको
गुंचे में दिल के जब से आये
सिर्फ़ दिल की ज़मीं है, याद हमको
इसी सरज़मीं, इसी सरज़मीं पे हम तो रहेंगे
बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में
रहें ना रहें हम
जब हम न होंगे जब हमारी
खाक पे तुम रुकोगे चलते चलते
अश्को से भीगी चाँदनी में
इक सदा सी सुनोगे चलते चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम तुमसे मिलेंगे
बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में
रहे ना रहे हम
Written by:
ROSHAN, MAJROOH SULTANPURI
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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