Chitra Singh - Saare Badan Ka Khoon

सारे बदन का ख़ून, पसीने में जल गया
सारे बदन का ख़ून, पसीने में जल गया
इतना चले के जिस्म हमारा पिघल गया
सारे बदन का ख़ून, पसीने में जल गया

चलते थे, गिन रहे थे मुसीबत के रात-दिन
चलते थे, गिन रहे थे मुसीबत के रात-दिन
दम लेने हम जो बैठ गए, दम निकल गया
इतना चले के जिस्म हमारा पिघल गया
सारे बदन का ख़ून, पसीने में जल गया

अच्छा हुआ, जो राह में ठोकर लगी हमें
अच्छा हुआ, जो राह में ठोकर लगी हमें
हम गिर पड़े तो सारा ज़माना संभल गया
इतना चले के जिस्म हमारा पिघल गया
सारे बदन का ख़ून, पसीने में जल गया

वहशत में कोई साथ हमारा ना दे सका
वहशत में कोई साथ हमारा ना दे सका
दामन की फ़िक्र की तो गिरेबाँ निकल गया
इतना चले के जिस्म हमारा पिघल गया
सारे बदन का ख़ून, पसीने में जल गया

Written by:
JAGJIT SINGH, MAHMOOD DURRANI

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Chitra Singh

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