Jagjit Singh and Chitra Singh - Sab Se Oonchi Prem Sagai

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

दुर्योधन के मेवा त्याग्यो

दुर्योधन के मेवा त्याग्यो

दुर्योधन के मेवा त्याग्यो

दुर्योधन के मेवा त्याग्यो

साग विदुर घर खाई
सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

जूठे फल शबरी के खाये

जूठे फल शबरी के खाये

बहु विधि स्वाद बताई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

प्रेम के बस अर्जुन रथ हांक्यो

प्रेम के बस अर्जुन रथ हांक्यो

प्रेम के बस अर्जुन रथ हांक्यो

प्रेम के बस अर्जुन रथ हांक्यो

भूल गये ठकुराई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन

ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन

ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन

ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन

गोपियन नाच नचाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

सूर क्रूर कही लायक नाहीं

सूर क्रूर कही लायक नाहीं

सूर क्रूर कही लायक नाहीं

सूर क्रूर कही लायक नाहीं

कहि लगो करहुं बड़ाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

सबसे ऊँची

प्रेम सगाई

Written by:
Jagjit Singh

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

Lyrics powered by Lyric Find

Jagjit Singh and Chitra Singh

View Profile
Krishna Bhajans Krishna Bhajans