हर्षदीप कौर and Mohit Chauhan - Sachi Muchi
मैं गप्प न कोई मारुं
ना बात बोलूँगा कच्ची
दो तीन साल से मुझको
तू लगी लगने अछि
उ उ उ उ उ
तू जान है सच्ची मुच्ची
ओ मैं गप्प न कोई मारुं
जो बात बोलूँगी सच्ची
मैं नखरीली सी छोरी
हूँ साथ ही तेरे अछि
उ उ उ उ उ
तू जान है सच्ची मुच्ची
ओ बात अनसुनी है
प्यार से बुनी है
आज दोगुनी है आरज़ू
ये ख्वाब हैं चाहते
या मेरे दिल की आवाज़ें
जानती है तू
तेरे कहने से ली मैंने परवाज़ें
ये ख्वाब हैं चाहते
या मेरे दिल की आवाज़ें
जानती है तू
तेरे कहने से ली मैंने परवाज़ें
मैं गप्प न कोई मारुं
जो बात बोलूँगी सच्ची
मैं नखरीली सी छोरी
हूँ साथ ही तेरे अछि
उ उ उ उ उ
तू जान है सच्ची मुच्ची
लेजा वहाँ तेरा हो जहाँ पे जहाँ
मैंने ये दे दी है जुबां
चलता जाऊंगा
सुबह को मैं लाऊंगा होंठों पे हँसी
शामों को बातों में तेरी
ढलता जाऊंगा
मैं रज्ज के चहुँ तुझको
ले इश्क के मैं तेरे नाचि
ले छाड अक्कल की बातें
फिर आज होगयी बच्ची
उ उ उ उ उ
तू जान है सच्ची मुच्ची
ओ बात अनसुनी है
प्यार से बुनी है
आज दोगुनी है आरज़ू
ये ख्वाब हैं चाहते
या मेरे दिल की आवाज़ें
जानती है तू
तेरे कहने से ली मैंने परवाज़ें
ये ख्वाब हैं चाहते
या मेरे दिल की आवाज़ें
जानती है तू
तेरे कहने से ली मैंने परवाज़ें
Written by:
IRSHAD KAMIL, SHEKHAR RAVJIANI, VISHAL DADLANI
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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