Talat Mahmood - Sahara Koi Mil Jata To

सहारा कोई मिल जाता तो हम कब के संभल जाते
सहारा कोई मिल जाता तो हम कब के संभल जाते
के जिस साँचे मे दिल कहता उसी साँचे ढल जाते
के जिस साँचे मे दिल कहता उसी साँचे ढल जाते
सहारा कोई मिल जाता

बराबर दोनों जानिब आग लगाती है मुहब्बत में
इधर से भी उधर पहले सुलगती है मुहब्बत में
इधर से भी उधर पहले सुलगती है मुहब्बत में
न जलती शम्मा महफ़िल में तो क्या परवाने जल जाते
न जलती शम्मा महफ़िल में तो क्या परवाने जल जाते
सहारा कोई मिल जाता तो हम कब के संभल जाते
के जिस साँचे मे दिल कहता उसी साँचे ढल जाते
सहारा कोई मिल जाता

किसी से आँखों आँखों में कोई इक़रार हो जाता
मुहब्बत का अगर भरपूर दिल पर वार हो जाता
मुहब्बत का अगर भरपूर दिल पर वार हो जाता
तो दिल के साथ शायद दिल के अरमान भी निकल जाते
तो दिल के साथ शायद दिल के अरमान भी निकल जाते
सहारा कोई मिल जाता तो हम कब के संभल जाते
के जिस साँचे मे दिल कहता उसी साँचे ढल जाते
सहारा कोई मिल जाता

Written by:
Nakshab, Shivram

Publisher:
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