Sonu Nigam and Roop Kumar Rathod - Sandese Aate Hai

होहो

संदेसे आते हैं
हूमें तड़पाते हैं
तो चित्ति आती है
तो पूच्छ जाती है
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन ये घर सूना सूना है
संदेसे आते हैं
हूमें तड़पाते हैं
तो चित्ति आती हैं
तो पूच्छ जाती है
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन ये घर सूना सूना है

किसी दिलवाली ने किसी मतवाली ने
हूमें खत लिक्खा है
की हुंसे पूचछा है
किसी की सासों ने किसी की धड़कन ने
किसी की चूड़ी ने किसी के कंगन ने
किसी के कजरे ने किसी के गजरे ने
माहेकत्ि सुबहों ने मचलती शामों ने
अकेली रातों ने अधूरी बातों ने
तरसती बाहों ने
और पूक्चा है तारसी निगहों ने
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन ये दिल सूना सूना है
संदेसे आते हैं
हूमें तड़पते हैं
तो चित्ति आती है
तो पूछे जाती है
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन ये घर सूना सूना है

मोहब्बत वालों ने हमारे यारों ने
हूमें ये लिक्खा है के हुंसे पूचछा है
हमारे गाओं ने आम की चाओं ने
पुराने पीपल ने बरसते बादल ने
खेत खलियायानों ने हारे मैदानों ने
बसंती बेलों ने झूमती बेलों ने
लचकते झूलों ने बहेकते फूलों ने
चटकती कलियों ने
और पूचछा हैं गाओं की गलियों ने
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन गाओं सूना सूना है
संदेसे आते हैं
हूमें तड़पते हैं
तो चित्ति आती है
तो पूछे जाती है
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन ये घर सूना सूना है

कभी एक ममता की
प्यार की गंगा की
वो चित्ति आती है
साथ वो लाती है
मेरे दिन बचपन के
खेल वो आँगन के
वो साया आँचल का
वो टीका काजल का
वो लॉरी रातों में वो नर्मी हाथों में
वो चाहत आँखों में वो चिंता बातों में
बिगाड़ना ऊपर से मोहब्बत अंदर से
करे वो देवी मा
यहीं हर खत में पूच्छे मेरी मा
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन आँगन सूना सूना है
संदेसे आते हैं
हूमें तड़पते हैं
तो चित्ति आती है
तो पूछे जाती है
के घर कब आओगे
के घर कब आओगे
लिखो कब आओगे
की तुम बिन ये घर सूना सूना है

ओहोो..
आय गुज़रने वाली हवा बता
मेरा इतना काम करेगी क्या
मेरे गाँव जा मेरे दोस्तों मो सलाम दे
मेरी गाँव में है जो वो गली
जहाँ रहती है मेरी दिलरुबा
उसे मेरे प्यार का जाम दे
उसे मेरे प्यार का जाम दे
वहीं थोड़ी डोर है घर मेरा
मेरा घर में है मेरी बूढ़ी मा
मेरे मा के पैरों को छ्छूके
उसे उसके बेटा का नाम दे
आय गुज़रने वाली हवा ज़रा
मेरे दोस्तों मेरी दिलरुबा
मेरी मा को मेरा पैयाँ दे
उन्हे जाके टाइ ये पैगाम दे
मैं वापस आऊंगा
मैं वापस आऊंगा
फिर अपने गाओं में
उसीकि चाओं में
की मा के आँचल से
गाँव के पीपल से
किसिके काजल से
किया जो वादा था वो निभाऊँगा

मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा

Written by:
ANU MALIK, JAVED AKHTAR

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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