Jagjit Singh - Shaayad

फिर उसीी राहगुज़ार पर शायद
फिर उसीी राहगुज़ार पर शायद
हम कभिइ मिल सकें मगर शायद

जान पहचान से क्या होगा
जान पहचान से क्या होगा
फिर भीइ आई दोस्त गौर कर शायद

मुंतज़ीर जिन के हम रहे उन को
मुंतज़ीर जिन के हम रहे उन को
मिल गये और हमसफ़र शायद

जो भीइ बिच्छड़े हैं
कब मिले हैं फ़राज़
जो भीइ बिच्छड़े हैं
कब मिले हैं फ़राज़
जो भीइ बिच्छड़े हैं
कब मिले हैं फ़राज़
फिर भीइ तू इंतज़ार कर शायद
फिर उसीी राहगुज़ार पर शायद
फिर उसीी राहगुज़ार पर शायद
फिर उसीी राहगुज़ार पर शायद

Written by:
Faraz Ahmed, Jagjit Singh

Publisher:
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Jagjit Singh

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