DVP Music World - Shanti Guru Chalisa (Dinesh Kochar)

गुरु चरणों में नमन कर, श्रद्धा प्रेम बसाय॥
सुमरू माता शारदे, रचना ज्योति जगाय॥॥
वाणी में गुरु की कथा, पल पल उतरे आये॥
ह्रदय भक्ति से पूर्ण हो, निशि वासर सरसाय॥॥

जय जय विजय शांति सुरिश्वर, कीर्ति सुने सब जल थल नभचर॥1॥
नमो महायोगी हितकारी, तिहु लोक फैली उजियारी॥2॥
नमो परम साधक सुखदाई, अनगिन भक्त और अनुयायी॥3॥
शुभ रूप छबि अधिक सुहावे, दरस करत जन अति सुख पावे॥4॥
उन्नत ललाट मुख मुस्कावे, दीर्घ केशराशि मन भावे॥5॥
नयनो में प्रकाश सा छाया, अंग अंग आलोक समाया॥6॥
मंडोली में करत निवासा, कृपा सिन्धु दीजे मन आसा॥7॥
वरद हस्त में सब सुख साजे, जाको देख काल डर भाजे॥8॥
अणु अणु में है ज्योति तुम्हारी, हर्षित हो पूजे नर नारी॥9॥
योग साधना से ताप कीन्हो, काम क्रोध जीती सब लीन्हो॥10॥
महिमा अमित जगत विख्याता, करुणा सागर पालक त्राता॥11॥
जो जन धरे गुरु का ध्याना, ताको सदा होय कल्याणा॥12॥
सुमरण से पुलकित हिय होई, सुख उपजे दुःख दुरमति खोई॥13॥
कल्पवृक्ष जैसी तब छाया, गुरुदेव की अद् भुत माया॥14॥
तुम्हारी शरण गहे जो कोई, तरे सकल संकट सो सोई॥15॥
सरस्वती शतमुख से गावे, तुम्हारी गाथा पार न पावे॥16॥
तुमहि जानि कछू रहे न शेषा, रोग दोष कछू रहे न क्लेशा॥17॥
तुम्हारी शक्ति दीपे सब ठाई, गुरु लीला सब ठोर समाई॥18॥
जापर कृपा तुम्हारी होई, तापर कृपा करे सब कोई॥19॥
दारिद्र मिटे कटे घन पीरा, गुरु जयनाद सुने गंभीरा॥20॥
गृह अशान्ति चित चिंता भारी, नासे शान्ति सूरी भय हारी॥21॥
पिता भीमतोला बडभागी, विश्व ज्योति जिनके घर जागी॥22॥
अमर हुई माता वासुदेवी, जन्मा सगतोजी जन सेवी॥23॥
विजय शान्ति योगी अवतार, ॐ ह्रीं नमः पुकारा॥24॥
तीर्थ विजय से दीक्षा लीन्ही, फिर ताप साधन में गति किन्ही॥25॥
वन आबू में गुफा निवासी, सिद्ध किये बीजाक्षर रासी॥26॥
जहाँ गये जनता गद गद थी, मेटी परम्परा पशुवध की॥27॥
श्री फल को मन की वाचा दी, केसरिया तीर्थ की रक्षा की॥28॥
गांव गांव की कलह मिटाई, युग प्रधान की पदवी पाई॥29॥
अहिंसा का सन्देश सुनाया, जीवन धर्म त्याग विकसाया॥30॥
अन्तर्यामी रूप लुभाया, भक्तो को बहु बार बचाया॥31॥
ह्रदय परिवर्तन विश्वासी, तृष्णा भयी तुम्हारी दासी॥32॥
जप ताप के नियमित आचारी, वश में हुई सिद्धियाँ सारी॥33॥
शब्द सरोवर को पहचाना, अनुभव का अनुरंजन जाना॥34॥
तब जनहित का मार्ग सुझाया, साधु वेश में दिव्य समाया॥35॥
योगिराज जितने जग मांही, कोई शान्ति सूरी सम नाही॥36॥
जो भी चरणों में चित लावे, सारे सुफल मनोरथ पावे॥37॥
बल विद्या सदगति के दानी, तुम संग कोऊ न पावे हानि॥38॥
जो नर पढ़े नित्य चालीसा, निखरे पारस धातु सरीखा॥39॥
गुरुदेव की समझे भाषा, उसकी पूर्ण होय अभिलाषा॥40॥

अन्तस में गुरु की छवि, अब कुछ कहा न जाय॥
शान्ति सेवक अर्पण करे, तन मन धन हरषाय॥॥
शान्ति सूरी गुरु का चरित, जैसे सिन्धु अथाह॥॥
मिली प्रेरणा तब हुआ गरिबा का निर्वाह॥॥

Written by:
vikas kochar

Publisher:
Lyrics © O/B/O DistroKid

Lyrics powered by Lyric Find

DVP Music World

View Profile
Shanti Guru Chalisa (Dinesh Kochar) - Single Shanti Guru Chalisa (Dinesh Kochar) - Single