Lata Mangeshkar and The Keychangers - Sheesha Ho Ya Dil Ho [Lofi]
शीशा हो या दिल हो
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है
टूट जाता है टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
लब तक आते आते हाथो से सगर छूट जाता है
छूट जाता है छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है टूट जाता है टूट जाता है टूट जाता है
काफी बस अरमां नहीं
कुछ मिलना आसान नहीं
दुनिया की मज़बूरी है
फिर तक़दीर जरुरी है
यह जो दुश्मन है ऐसे दोनों राज़ी हो कैसे
एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है
रूठ जाता है
रूठ जाता है
बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
हम खेलें तूफ़ानों से
इस दिल के अरमानों से
हमको ये मालूम न था
कोई साथ नहीं देता
कोई साथ नहीं देता
माँझी छोड़ जाता है साहिल
छूट जाता है
छूट जाता है छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर, टूट जाता है टूट जाता है टूट जाता है
Written by:
ANAND BAKSHI, LAXMIKANT PYARELAL, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
Lyrics powered by Lyric Find