Divya Kumar - Sui Dhaaga

कतरन की बोरी कंधों पे
पैबंद लगा के बन्दों पे
कतरन की बोरी कंधों पे
पैबंद लगा के बन्दों पे
चल पड़े हम एक काज बनाने
टूटे बटन में बकसुआ फ़साके
चल पड़े हम एक काज बनाने
टूटे बटन में बकसुआ फ़साके
किस्मत उधड़ी तो सिल्वा के
सुई धागा, सुई धागा, सुई धागा
सुई धागा
सुई सीधी खड़ी नाचे धागा
सुई धागा, सुई धागा, सुई धागा
सुई धागा

जितने केहेर हम पे आ गिरे
उतने डगर हम बने
जितना ज़ेहर हमपे टांक दो
उतने मधुर हम बने
फ़िक्रों की ठानो के बोज से
हाँ बेफिकर हम बने
धरती को अम्बर से जोड़ डालें
कोई थामा दे ज़रा
सुई धागा, सुई धागा, सुई धागा
सुई धागा,
सुई सीधी खड़ी नाचे धागा
सुई धागा, सुई धागा, सुई धागा
सुई धागा
कतरन की बोरी कंधों पे
पैबंद लगा के बन्दों पे

सपनो का बोज भारी रहा
पर देखना तो जारी रहा
अपनों के साथ का नूर भी हमपे तारी रहा
सपनो का बोज भारी रहा
पर देखना तो जारी रहा
अपनों के साथ का नूर भी हमपे तारी रहा
एक दूसरे के ही थम के उड़ना सीखा है
एक दूसरे के ही थम के उड़ना सीखा है
पानी माटी अग्नि जोड़े हमको देदो ज़रा
सुई धागा, सुई धागा, सुई धागा
सुई धागा
सुई सीधी खड़ी नाचे धागा
सुई धागा, सुई धागा, सुई धागा
सुई धागा
कतरन की बोरी कंधों पे
पैबंद लगा के बन्दों पे
कतरन की बोरी कंधों पे
पैबंद लगा के बन्दों पे

Written by:
ANU MALIK, VARUN GROVER

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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