Gulzar - Sur Vahi Saazon Pe Chalti Huee Aawaaz Vahi

सुर वही साज़ो पे चलती हुई आवाज़ वही
हा वही रंग है महकी हुई खुशबु भी वही
अभी शाखों पे वही शबनमी है कतरे कतरे
अभी चलती है सभा पत्तो पाओ रख कर
झुक के पानी में तका करती है चेहरा लेकिन
एक सुबह और हुई है
तेरी आवाज़ से लिपटी हुई ख़ामोशी का सुर

Written by:
GULZAR

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

Lyrics powered by Lyric Find

Gulzar

Gulzar

View Profile