Talat Mahmood - Wahshat Hi Sahi

इश्क़ मुझको नहीं वहशत ही सही

मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही

क़ता कीजे ना तआल्लुक़ हमसे
कुछ नहीं है तो अदावत ही सही

मेरे होने में है क्या रुस्वाई
है वो मज्लिस नहीं खल्वाट ही सही

हम भी दुशमन तो नहीं हैं अपने
हम भी दुशमन तो नहीं हैं अपने
ग़ैर को तुझसे मोहब्बत ही सही

हम कोई तर्क़-ए-वफ़ा करते हैं
ना सही इश्क़ मुसीबत ही सही

हम भी तक़लीम की ख़ूँ डालेंगे
बेनियाज़ी तेरी आदत ही सही

यार के छेड़ चली जाये 'असद'
गर नहीं वस्ल तो हसरत ही सही

Written by:
GHULAM MOHAMMED, MIRZA GHALIB

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Talat Mahmood

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