Amitabh Bachchan, Lata Mangeshkar, Kishore Kumar and Shiv-Hari - Yeh Kahan Aa Gaye Hum [Compilation]
मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितनी हँसती
तुम होती तो ऐसा होता
तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बाते करते हैं
देखा एक खवाब तो सिलसिले हुए
दूर तक निगाहों में हे गुल खिले हुए
देखा एक खवाब तो सिलसिले हुए
दूर तक निगाहों में हे गुल खिले हुए
दिल फ़िदा हे आपकी निगाहों से
दूर हे तो दरमियान तो फासले हुए
देखा एक खवाब तो सिलसिले हुए
दूर तक निगाहों में हे गुल खिले हुए
ये रात है या तुम्हारी
ज़ूल्फेन खुली हुई हैं
है चाँदनी तुम्हारी नॅज़ारो से
मेरी राते धूलि हुई हैं
ये चाँद है या तुम्हारा कंगन
सितारे हैं या तुम्हारा आँचल
ये पट्टियों की है सरसराहट
के तुमने चुपके से कुच्छ
मेरी साँसों में बसी ये खुशबु तेरी
ये तेरे प्यार की हे जादूगरी
तेरी आवाज हे हवाओ में
प्यार का रंग हे फिजाओं में
धड़कनो में तेरे गीत हे मिले हुए
क्या कहँ के शर्म से ये लब सिले हुए
देखा एक खवाब तो सिलसिले हुए
दूर हे तो दरमियान तो फासले हुए
मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितनी हँसती
तुम होती तो ऐसा होता
तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बाते करते हैं
मेरा दिल हे तेरी पनाहों में
आ छुपा लूँ में बाहों में
तेरी तस्वीर हे निगहाओं में
फूल तक रौशनी हे राहों में
कल अगर न रौशनी के काफिले हुए
प्यार के हजार डीप हे जले हुए
देखा एक खवाब तो सिलसिले हुए
दूर तक निगाहों में हे गुल खिले हुए
दिल फ़िदा हे आपकी निगाहों से
दूर हे तो दरमियान तो फासले हुए
देखा एक खवाब तो सिलसिले हुए
दूर तक निगाहों में हे गुल खिले हुए
मजबुउर ये हालात
इधर भी है उधर भी
तन्हाई के ये रात इधर
भी है उधर भी
कहने को बहुत कुच्छ
है मगर किससे कहें हम
कब तक यूँ ही खामोश
रहे और सहें हम
दिल कहता है दुनिया
की हर इक रस्म उठा दें
दीवार जो हम दोनो
में है आज गिरा दें
क्यों दिल में सुलगते
रहे लोगों को बता दें
हन हमको मुहब्बत है
मोहब्बत है मोहब्बत है
अब दिल में यही बात
इधर भी है उधर भी
Written by:
Shiv-Hari, Akhtar Javed
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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