Mukesh - Yeh Kaun Chitrakar Hai

हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन
नीला नीला ये गगन
हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन ह्म ह्म
के जिसपे बादलो की पालकी उड़ा रहा पवन ह्म ह्म
दिशाये देखो रंगभरी
दिशाये देखो रंगभरी चमक रही उमंग भारी
ये किस ने फूल फूल पे
ये किस ने फूल फूल पे किया सिंगर है
ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार
ये कौन चित्रकार है

ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार

तपसियो सी है अटल ये पर्वतो की चोटिया
ये सर्प सी घूमेरदार, घेरदार घाटिया
ध्वजा से ये खड़े हुए
ध्वजा से ये खड़े हुए है वृकश देवदार के
गाळीचे ये गुलाब के, बगीचे ये बाहर के
ये किस कवि की कल्पना
ये किस कवि की कल्पना का चमत्कार है
ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार
ये कौन चित्रकार है

ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार

कुदरत की इस पवित्रता को तुम निहार लो हा हा हा
इसके गुनो को अपने मन मे तुम उतार लो हा हा हा
चमका लो आज लालिमा
चमका लो आज लालिमा अपने ललाट की
कण कण से झाँकती तुम्हे छबि विराट की
अपनी तो आँख एक है, अपनी तो आँख एक है, उस की हज़ार है
ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार
ये कौन चित्रकार है

ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार
ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार

Written by:
BHARAT VYAS, SATISH BHATIA

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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