सुलोचना कदम and Anna Saheb - Zara Sunte Jana Do Dilon Ka Afsana

ज़रा सुनते जाना हो ओ
ज़रा सुनते जाना हो
दो दिलों का अफसाना
ज़रा सुनते जाना
मेरी बातों का तुम कुछ बुरा न मानना
मेरी बातों का तुम कुछ बुरा न मानना
ज़रा सुनते जाना हो ओ
ज़रा सुनते जाना हो
दो दिलों का अफसाना
ज़रा सुनते जाना

बात बुरी हो या भली
अब सुन’न नहीं ज़रूरी
बात बुरी हो या भली
अब सुन’न नहीं ज़रूरी
पहले तुम्हे थी मजबूरी
पहले तुम्हे थी मजबूरी
अब मुझे भी है मजबूरी
मीठी मीठी
मीठी मीठी बातें अपनी
मुझे न सुनाना
ज़रा सुनते जाना हो ओ
ज़रा सुनते जाना हो
दो दिलों का अफसाना
ज़रा सुनते जाना

कल का झगड़ा आज का मिलना
कल का झगड़ा आज का मिलना
समय समय की बात
कभी के लम्बे दिन होते हैं
कभी की लम्बी रात
कभी के लम्बे दिन होते हैं
कभी की लम्बी रात
जीवन का सुख बन जाता है
रूठ के मिल जाना
जीवन का सुख बन जाता है
रूठ के मिल जाना
ज़रा सुनते जाना हो ओ
ज़रा सुनते जाना हो
दो दिलों का अफसाना
ज़रा सुनते जाना

रोज़ रोज़ के झगडे में तो
निकलेगा दीवाला
रोज़ रोज़ के झगडे में तो
निकलेगा दीवाला

बोल-बाला प्यार का है
झगडे का मुंह काला

वादा कर के
वादा कर के प्यार का
मत वादे से फिर जाना
ज़रा सुनते जाना हो ओ
ज़रा सुनते जाना हो
दो दिलों का अफसाना
ज़रा सुनते जाना


Written by:
Pt Ramakant, Ehsan Rizvi

Publisher:
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सुलोचना कदम and Anna Saheb

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