Lata Mangeshkar - Zulmi Sang Ankh Ladi Re

आ हा हा आ हा हा आ हा हा

ज़ुल्मी संग आँख लड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
सखी मैं का से कहुँ री
ए सखी का से कहुँ
जाने कैसी ये गाठ पड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी

वो छुप छुप के बन्सरी बजाये
वो छुप छुप के बन्सरी बजाये
वो छुप छुप के बन्सरी बजाये
सुनाये मोहर मस्ती में डूबा हुआ राग रे

मोहे तारों की छाँव में बुलाये
चुराए मेरी निंदिया मैं रह जाऊँ जाग रे
लगे दिन छोटा रात बड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
सखी मैं का से कहुँ री
सखी मैं का से कहुँ री
जाने कैसी ये गाठ पड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे

बातों बातों में रोग बढ़ा जाये
बातों बातों में रोग बढ़ा जाये रे
बातों बातों में रोग बढ़ा जाये
हमारा जिया तड़पे किसी के लिए शाम से

मेरा पागलपना तो कोई देखो
पुकारूँ में चंदा को साजन के नाम से
फिरी मन पे जादू की छड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
सखी मैं का से कहुँ
री सखी मैं का से कहुँ
जाने कैसी ये गाठ पड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे

Written by:
SHAILENDRA, SALIL CHOWDHARI

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Lata Mangeshkar

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